5 ESSENTIAL ELEMENTS FOR BAGLAMUKHI SADHNA

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२८. ॐ ह्लीं श्रीं ठं श्रीभग-निपातिन्यै नमः-दक्ष-जानुनि (दाँएँ घुटने में) ।

ब्रह्मास्त्राख्यो मनुः पातु, सर्वाङ्गे सर्व- सन्धिषु । मन्त्र-राज: सदा रक्षां, करोतु मम सर्वदा।।६

२०. श्रीभग-निपातिन्यै नमः विपुल ऐश्वर्य को देनेवाली को नमस्कार।

ज्वलत्-पद्मासन-युक्तां कालानल-सम-प्रभाम् । चिन्मयीं स्तम्भिनीं देवीं, भजेऽहं विधि-पूर्वकम्।।

मदिरामोद-वनां प्रवाल-सदृशाधराम् । पान-पात्रं च शुद्धिं च, विभ्रतीं बगलां स्मरेत् ।

बिम्बोष्ठीं चारु-वदनां, सम-पीन-पयोधराम् ।

जिह्वाग्रमादाय कर-द्वयेन, छित्वा दधन्तीमुरु-शक्ति-युक्तां।

“स्वतन्त्र तन्त्र’ में भगवान् शङ्कर, पार्वती जी से कहते हैं कि ‘हे देवि! श्रीबगला विद्या के आविर्भाव को कहता हूँ। पहले कृत-युग में सारे जगत् का नाश करनेवाला वात-क्षोभ (तूफान) उपस्थित हुआ। उसे देखकर जगत् की रक्षा में नियुक्त भगवान् विष्णु चिन्ता-परायण हुए। उन्होंने सौराष्ट्र देश में ‘हरिद्रा सरोवर’ के समीप तपस्या कर श्रीमहा-त्रिपुर-सुन्दरी भगवती को प्रसन्न किया। श्री श्रीविद्या ने ही बगला-रूप से प्रकट होकर समस्त तूफान को निवृत्त किया। त्रैलोक्य-स्तम्भिनी ब्रह्मास्त्र बगला महा-विद्या श्री श्रीविद्या एवं वैष्णव-तेज से check here युक्त हुई।

नव-यौवन-सम्पन्नां, सर्वाऽऽभरण-भूषिताम् । पीत-माल्यानुवसनां, स्मरेत् तां बगला-मुखीम् ।।

अन्त में भगवती बगला का मानसिक पूजन करना चाहिए। यथा-

श्मशाने जल-मध्ये च, भैरवश्च सदाऽवतु । द्वि-भुजा रक्त-वसनाः, सर्वाभरण-भूषिताः ।

इत्यष्टौ शक्तयः पान्तु, सायुधाश्च स-वाहना: । राज-द्वारे महा-दुर्ग, पातु मां गण-नायक: ।।१५

‘वेद’ एवं ‘तन्त्र’ के सन्दर्भ में : सिद्धि-प्रदा श्रीबगला-मुखी “राष्ट्र-गुरु’ श्री स्वामी जी महाराज

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